क्राईम स्टोरी न्यूज़ नोएडा। श्रम विभाग की टीम ने सुरजपुर से 15 बाल कामगारों को श्रम की बेडिय़ों से मुक्त कराया है। यह बाल कामगार मोटर गैराज, ढाबों, होटल इत्यादि जगह पर काम करते मिले। उप-श्रमायुक्त धर्मेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि बाल श्रम पर अंकुश लगाने के लिए चार श्रम प्रवर्तन अधिकारी ने सूरजपुर में छापेमारी की। मोटर गैराज, ढाबों, होटल आदि जगह से 15 बाल कामगारों को श्रम से मुक्त करा स्वजन को सौंपा है।
14 से 18 वर्ष की उम्र के किशोरों को सेहत के लिए खतरनाक माने जाने वाले व्यवसायों या उद्योगों को छोडक़र दूसरे कारोबार में कुछ शर्तों के साथ काम करने की छूट है। इस आयु वर्ग के किशोरों से किसी खतरनाक व्यवसाय या उद्योग में काम नहीं लिया जा सकता है। जबकि 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम लेने को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। इसके लिए नियोक्ता के साथ-साथ माता-पिता को भी सजा का प्रावधान है। विभाग ने नवंबर में 45 बाल कामगारों को श्रम से मुक्त कराया है। इनमें दो खतरनाक श्रेणी में काम कर रहे बाल कामगार भी शामिल हैं। विभाग की ओर से बाल श्रम विद्या योजना के लिए 36 बच्चों को चिह्नित किया गया है। जबकि विभाग को इस वित्तीय वर्ष में शासन स्तर से 30 बच्चों का लक्ष्य मिला था। उप-श्रमायुक्त ने बताया कि 18 साल आयु वर्ग के बाल श्रमिकों की पढ़ाई के लिए बाल श्रमिक विद्या योजना है। योजना के तहत लडक़ों को 1,000 रुपये और लड़कियों को 1,200 रुपये प्रति महीना दिया जाता है। इसके अलावा जो श्रमिक बच्चे आठवीं, नवीं और दसवीं कक्षा में पढ़ाई कर रहे हैं। उन्हें हर साल छह हजार रुपये की अतिरिक्त सहायता मिलती है।

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