रुड़की।  लक्सर सीट पर इस बार बसपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। वजह है कि अलग राज्य बनने के बाद पहले तीन चुनावों में लक्सर में बसपा हर बार दूसरे स्थान पर रही है। हालांकि 2017 में बसपा तीसरे स्थान पर थी। यही कारण है कि इस बार लक्सर पर बसपा का ध्यान ज्यादा है। राज्य गठन से पहले हरिद्वार में बहुजन समाज पार्टी का सबसे अधिक सियासी रुतबा होता था। राज्य बनने के बाद 2002 में पहले चुनाव में बसपा ने कई बार के विधायक, मंत्री व उत्तराखंड में प्रोटेम स्पीकर रहे दिग्गज नेता काजी मोहिउद्दीन को चुनाव लड़ाया। लेकिन निर्दलीय कुंवर प्रणव सिंह के सामने वे महज 818 मतों के अंतर से हारकर दूसरे स्थान पर रहे। 2007 के अगले चुनाव में बसपा ने लक्सर से पाल सिंह कश्यप को टिकट देकर मैदान में उतारा। इस चुनाव में भी कांग्रेस से लड़े कुंवर प्रणव सिंह 27038 वोट लेकर जीते और बसपा प्रत्याशी 21380 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे। इसके बाद नए परिसीमन में सीट का भूगोल काफी बदल गया। 2012 में तीसरी बार चुनाव हुए तो लक्सर में बसपा से दो बार के विधायक हाजी तसलीम चुनाव लड़े। इस बार भाजपा के संजय गुप्ता 25945 वोट लेकर विधायक बन गए, जबकि बसपा 15551 मतों के साथ फिर दूसरे स्थान पर रही। 2017 में भी भाजपा के संजय गुप्ता 25248 वोट से दूसरी बार निर्वाचित हुए। इस बार दूसरे स्थान पर कांग्रेस को 23644 वोट मिले, जबकि बसपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई। लगातार दूसरे नंबर की लड़ाई लड़ रही बसपा इस बार लक्सर में पूरी ताकत झोंके हुए है। बसपा प्रत्याशी मौहम्मद शहजाद का कहना है कि वह सालों पहले से यहां तैयारी कर रहे हैं और इस बार चुनाव परिणाम बदले हुए नजर आएंगे

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