नई टिहरी। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने नक्षत्र वेधशाला देवप्रयाग का भ्रमण कर यहां संकलित दुर्लभ धरोहरों को देखा। उन्होंने कहा कि यहां के प्राचीन ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचना चाहिए। गुरुवार को देवप्रयाग पहुंचे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तीर्थनगरी में स्थापित नक्षत्र वेधशाला का भ्रमण किया। वेधशाला संचालक आचार्य भास्कर जोशी ने पूर्व सीएम का स्वागत करते हुए उन्हें यहां के इतिहास की जानकारी दी। इस मौके पर पूर्व सीएम रावत ने उत्तराखंड की तीन सौ साल पूर्व एक पृष्ठ पर रचित गीता, टिहरी रियासत की प्रदीप रामायण, पीपल के पत्तो पर उकेरी गई पेंटिंग, प्राचीन ध्रुव, जल, सूर्य घड़ी सहित विदेशी टेलिस्कोप आदि को देखा। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के तहत संस्थान में चल रहे प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण के कार्य की भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि 76 वर्ष पूर्व स्व. आचार्य चक्रधर जोशी द्वारा स्थापित वेधशाला के स्थापना दिवस पर विशेष कार्यक्रम होने चाहिए। यह ज्योतिष विज्ञान है, नई पीढ़ी को इसका ज्ञान भी होना चाहिए। कहा कि जो जानकारी उन्हें यहां मिलेगी वह अन्यत्र दुर्लभ है। पूर्व मुख्यमंत्री ने वेधशाला परिसर में साथ लाए गए कपूर, दालचीनी, तेजपत्ता आदि के पौधे भी लगाए । इस मौके पर तहसीलदार मानवेंद्र वर्तवाल, डॉ. प्रदीप मेवाड़गुरु, चंद्र शेखर भट्ट, अशोक तिवारी, नरेंद्र कुंवर, जयप्रकाश ध्यानी, विद्या देवी, गुरु प्रसाद कोठरी, आशीष ध्यानी आदि मौजूद रहे।

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