भगवानपुर में फिर तेज हुईं देवर-भाभी की जंग
बहुजन समाज पार्टी की 37 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी होने के साथ ही एक बार फिर भगवानपुर विधानसभा सीट पर सबकी निगाहें टिक गई हैं। यहां वर्तमान में कांग्रेस की ममता राकेश विधायक हैं जबकि इस बार उनके देवर सुबोध राकेश भाजपा को अलविदा कहकर बसपा से चुनाव लड़ रहे हैं।दरअसल, भगवानपुर विधानसभा सीट राकेश परिवार के पास रही है। परिसीमन के बाद 2007 में बनी भगवानपुर सीट से बसपा प्रत्याशी सुरेंद्र राकेश ने भाजपा के चंद्रशेखर को 4133 वोटों से हराया था। 2012 के विधानसभा चुनाव में बसपा के सुरेंद्र राकेश फिर चुनाव जीते। सुरेंद्र राकेश 36,828 वोट हासिल कर 30,047 वोट पाने वाले कांग्रेस के सत्यपाल सिंह को 6781 के अंतर से हरा दिया था। सुरेंद्र राकेश का निधन होने के बाद इस सीट पर उनकी पत्नी ममता राकेश उपचुनाव लड़ी और जीत हासिल की । 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने ममता राकेश को उम्मीदवार बनाया और भाजपा ने उनके देवर सुबोध राकेश को टिकट दिया। देवर-भाभी के बीच दिलचस्प मुकाबला हुआ। ममता राकेश ने इस चुनाव में 44882 वोट हासिल किए थे जबकि उनके देवर सुबोध राकेश को 42369 वोट मिले।
देवर सुबोध राकेश ने बढ़ाई विधायक ममता राकेश की चिंता
देवर को 2513 यानी 2.70 प्रतिशत वोटों के अंतर से पटकनी मारी थी। इस बार कांग्रेस ने अपने प्रत्याशियों की सूची में भगवानपुर विधानसभा सीट पर वर्तमान विधायक ममता राकेश को चुनावी मैदान मे लेकि है लेकिन बसपा ने फिर भगवानपुर से चुनाव मैदान में ममता राकेश के देवर सुबोध राकेश को उतार दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बार भी भगवानपुर सीट पर दिलचस्प मुकाबला होने जा रहा है। वहीं, मिली जानकारी के अनुसार भाजपा ने राकेश परिवार के बीच मास्टर सत्यपाल को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है, अब भगवानपुर विधानसभा सीट पर दो तरफा चुनाव ना होकर त्रिकोणीय चुनाव बन गया है जिसे लेकर जनता अपना रुख किस ओर मोड सकती हैं यह तो वक्त ही बताएगा की देवर भाभी के बीच भगवानपुर विधानसभा का चुनाव सिमटकर रह जाएगा या फिर मास्टर सत्यपाल बाजी मारकर कामयाबी हासिल कर पाएं जिसके सर पर सजेगा ताज यह तो जनता के ऊपर ही निर्भर होगा ? किसके साथ होगी क्षेत्र की जनता ? कौन कराएगा क्षेत्र का विकास ? क्षेत्रीय जनता सोचनेेेे पर हुई मजबूर ?
बहुजन समाज पार्टी हरिद्वार की तीन सीटों पर प्रत्याशी का इंतजार नही हुआ ख़तम, उम्मीदवारों को करना पड़ेगा इंतजार